'दुदबोलि' बटि कुछ कविता आजि... लेखक छन श्री ज्ञान पन्त ज्यू... हमार जस पहाड़ छोड़ि -छाड़ि आइनाक 'प्रवासी" ना क दिल कि बात गज्बै लेख राखी...
दै मोटरा S S S S S!
त्यार् ख्वार् बज्जर पड़ि जौ
घर बटि लखनौ त
नजीक बँणै देछ, मगर
लखनौ बटि घर
त्वीलि कत्थप पुजै देछ
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कौ सुवा - के हाल छन्
कस मानी रौ पिंजाड़ भितेर?
के हाल बतूँ भुला
आपणैं जस समझ ल्हे!
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डबल - बैड.......!
म्यार लिजि त
यैक मतलब
आजि लै 'डबलै' भै..
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सचिन......!
त्वीलि कमाल करौ यार
यां त ‘हाफ सेंचुरी’ मैंयी
गाव्-गाव् ए गे!
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पहाड़ में
जिन्दगी छ!
शहरन् में
जिन्दगी ' पहाड़ ' छ!
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