दुदबोलि-2006 से साभारलेखक- श्री बहादुर बोरा ग्राम गढतिर, बेरीनाग (पिथौरागढ)
तोss र गाड़ाक ढीक बै, पूss र डानाक अदम तक
फैंली म्यार गौंक, गाड खेत
क्वै चौड चकाल, क्वै चार हात एक बैत
आहा कस अनौख लागनीं?
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ग्यौं, जौं, सरच्यंक
पुडांडमडुवा, इजर, धानाक स्यार
कै में भट-
गहतकैमें चिण-गन्यार
अहा! कस रंग-बिरंग छाजनीं?
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किल्ल-महलाक जास,
खुटकण, शिवज्यू मन्दिराक जास सीढि
काला क दिन बै कायमखानदान जास पीढि-दर-पीढि!
अहा! देख बेरि मन में स्वीण जामनीं!!
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लेकिन यो खालि खेतै न्हैतिना
यो स्मारक छ, यादगार छन!
एक-एक कांध मेहनत कि
काथऔर संघर्षकि व्याथा बाँचनी!
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तोss र गाड़ाक ढीक बै, पूss र डानाक अदम तक
फैंलीम्यार गौंक गाड खेत
आहा कस अनौख लागनीं?
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